🗣️ मध्य प्रदेश की आवाज़: हमारी वफादारी का प्रतिफल कहाँ है?
29 लोकसभा सीटें। यही मध्य प्रदेश ने भाजपा को लगातार दी है। मध्य प्रदेश के लोगो ने एकजुट होकर वोट दिया, हमारा विश्वास जताया। लेकिन इंडस्ट्री, निवेश और सम्मान हमें कहां मिले?
🤷♂️ न इंडस्ट्री, न निवेश, न सम्मान
गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश… सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा कॉरिडोर और आईटी पार्क्स की बहार इनके यहां है। मध्य प्रदेश? हम बस किनारे पर खड़े हैं, हर बड़ा निवेश हमें छोड़कर चला जाता है। हर टेक सम्मेलन हमारी ओर नजर ही नहीं उठाता।

🏭 इंडस्ट्रियल पॉलिसी का मायाजाल
राज्य सरकार ने इंडस्ट्रियल प्रमोशन पॉलिसी 2025 पेश की, एयरोस्पेस, ईवी, फार्मा और टेक्सटाइल्स के लिए वादे किए। पर कारखाने कहां हैं? नौकरियां कहां हैं? कागजों पर लिखी नीतियां रोजगार नहीं लातीं—जो चाहिए वह है ठोस कार्रवाई। पर वह कहीं दिखती ही नहीं।
🦜 पिपिट सरकार: केवल आदेश, कोई इच्छा नहीं
मध्य प्रदेश की राज्य सरकार एक पिपिट की तरह केंद्र से आदेश लेती है। अपना कोई निर्णय लेने की हिम्मत नहीं, अपनी मर्ज़ी नहीं, बस चले आ रहे निर्देशों पर चलता है। हमें देखने वाले बना दिया गया है, जबकि हमारे भविष्य के फैसले दूसरी जगह होते हैं।
मध्य प्रदेश में औद्योगिकीकरण के पिछड़ेपन के कई कारण हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
- अपर्याप्त आधारभूत संरचना: खराब सड़क संपर्क, बिजली की अविश्वसनीय आपूर्ति और सीमित लॉजिस्टिक्स उद्योग की स्थापना और संचालन में बाधा डालते हैं।
- सीमित पूंजी तक पहुंच: उद्योगों की स्थापना और विस्तार के लिए पर्याप्त पूंजी का अभाव औद्योगिक विकास को धीमा कर देता है।
- कौशल की कमी: योग्य और कुशल कार्यबल की कमी भी औद्योगिक वृद्धि को प्रभावित करती है, खासकर उन उद्योगों के लिए जिन्हें विशिष्ट विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
- नौकरशाही संबंधी बाधाएं: सरकारी प्रक्रियाओं में देरी और जटिलताएँ निवेश में बाधा डालती हैं और व्यापार करने की लागत को बढ़ाती हैं।
- विविधीकरण की कमी: राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है, और औद्योगिक क्षेत्र का विविधीकरण कम है।
- समुद्र और हवाई मार्ग से दूरी: एक भू-आबद्ध राज्य होने के कारण, मध्य प्रदेश को कच्चे माल के आयात और तैयार माल के निर्यात में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
🤔 क्या है यह राजनीतिक पक्षपात?
हमारी निष्ठा के बावजूद, हमें विकास की दौड़ में दूसरे दर्जे का नागरिक माना गया है। क्यों गुजरात को मिलती है सबसे बड़ी हिस्सेदारी? क्यों महाराष्ट्र पर चमकती है spotlight? क्यों कर्नाटक खींच ले जाता है सारी टेक इन्वेस्टमेंट? क्या हम सिर्फ वोट बैंक हैं?
📢 हम मांगते हैं जवाबदेही
मध्य प्रदेश कोई दानपेटी नहीं है। हमारे पास जमीन, प्रतिभा, संसाधन और आकांक्षा हैं। हमें चाहिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और केंद्र का साथ।
- मध्य प्रदेश में समर्पित इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्लस्टर
- हमारे रणनीतिक इलाकों को जोड़ने वाला रक्षा निर्माण कॉरिडोर
- युवा पीढ़ी के लिए विशेष IT और टेक निवेश रोडमैप
- पारदर्शिता: बताएं, MP को क्यों किया जा रहा है किनारे
🛑 बस बहुत हो गया
वक्त आ गया है अपनी रणनीति बदलने का। मध्य प्रदेश को चाहिए सिर्फ नारे और भाषण नहीं, बल्कि कारखाने, नौकरियां और भरोसेमंद भविष्य।
🚷 महाकोशल और विंध्य की अनदेखी: युवाओं के लिए न रोज़गार , न सम्मान
मध्य प्रदेश में औद्योगीकरण की धीमी गति ने हमारे युवाओं को मजबूर कर दिया है कि वे दूसरे राज्यों में जाकर रोज़गार ढूंढें। लेकिन वहां उन्हें सिर्फ काम नहीं, भेदभाव भी झेलना पड़ता है। खासकर महाकोशल और विंध्य क्षेत्र के युवाओं को न सिर्फ बाहरी राज्यों में बल्कि अपने ही राज्य में हाशिए पर रखा जाता है।
- इंदौर और भोपाल के आसपास ही आईटी पार्क, लॉजिस्टिक्स हब और बड़े उद्योग लगाए गए हैं
- रीवा, सतना, जबलपुर, शहडोल जैसे शहरों को योजनाओं से बाहर रखा गया
- राज्य के भीतर ही क्षेत्रीय असमानता बढ़ रही है—एक तरफ चमकते शहर, दूसरी तरफ बेरोजगारी और पलायन
यह सिर्फ आर्थिक अन्याय नहीं है, यह सामाजिक उपेक्षा भी है। जब तक महाकोशल और विंध्य को बराबरी का हिस्सा नहीं मिलेगा, तब तक मध्य प्रदेश का विकास अधूरा रहेगा।
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