पवित्र शंख के जानिए 12 चमत्कारिक रहस्य ? शॉकिंग तथ्य

क्या शंख हमारे सभी प्रकार के कष्ट दूर कर सकता है? भूत-प्रेत और राक्षस भगा सकता है? क्या शंख में ऐसी शक्ति है कि वह हमें धनवान बना सकता है? क्या शंख हमें शक्तिशाली व्यक्ति बना सकता है? पुराण कहते हैं कि सिर्फ एकमात्र शंख से यह संभव है। शंख की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन के दौरान हुई थी।
शिव को छोड़कर सभी देवताओं पर शंख से जल अर्पित किया जा सकता है। शिव ने शंखचूड़ नामक दैत्य का वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है।
शंख के नाम से कई बातें विख्यात है जैसे योग में शंख प्रक्षालन और शंख मुद्रा होती है, तो आयुर्वेद में शंख पुष्पी और शंख भस्म का प्रयोग किया जाता है। प्राचीनकाल में शंक लिपि भी हुआ करती थी। विज्ञान के अनुसार शंख समुद्र में पाए जाने वाले एक प्रकार के घोंघे का खोल है जिसे वह अपनी सुरक्षा के लिए बनाता है।
शंख से वास्तुदोष ही दूर नहीं होता इससे आरोग्य वृद्धि, आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ-दोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है। इसके अलावा शंख कई चमत्कारिक लाभ के लिए भी जाना जाता है। उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एवं भारत में पाये जाते हैं।
त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृत: करे।
नमित: सर्वदेवैश्य पाञ्चजन्य नमो स्तुते।।
पवित्र शंख के जानिए 12 चमत्कारिक रहस्य ?

वर्तमान समय में शंख का प्रयोग प्राय: पूजा-पाठ में किया जाता है। अत: पूजारंभ में शंखमुद्रा से शंख की प्रार्थना की जाती है। शंख को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया माना गया है। शंख कई प्रकार के होते हैं। शंख के चमत्कारों और रहस्य के बारे में पुराणों में विस्तार से लिखा गया है। आओ जानते हैं शंख और शंख ध्वनि के 12 रहस्य…
शंख के प्रकार:- शंख के प्रमुख 3 प्रकार होते हैं:- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख। इन शंखों के कई उप प्रकार होते हैं। शंखों की शक्ति का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है। यह प्रकार इस तरह भी है- वामावर्ती, दक्षिणावर्ती तथा गणेश शंख।
शंख के अन्य प्रकार:- लक्ष्मी शंख, गोमुखी शंख, कामधेनु शंख, विष्णु शंख, देव शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, गरूड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख, गोमुखी शंख, पांचजन्य शंख, अन्नपूर्णा शंख, मोती शंख, हीरा शंख, शेर शंख आदि प्रकार के होते हैं।
द्विधासदक्षिणावर्तिर्वामावत्तिर्स्तुभेदत:
दक्षिणावर्तशंकरवस्तु पुण्ययोगादवाप्यते
यद्गृहे तिष्ठति सोवै लक्ष्म्याभाजनं भवेत्
पवित्र शंख के जानिए 12 चमत्कारिक रहस्य ?

अर्थात् शंख दो प्रकार के होते हैं:- दक्षिणावर्ती एवं वामावर्ती। लेकिन एक तीसरे प्रकार का भी शंख पाया जाता है जिसे मध्यावर्ती या गणेश शंख कहा गया है।
दक्षिणावर्ती शंख पुण्य के ही योग से प्राप्त होता है। यह शंख जिस घर में रहता है, वहां लक्ष्मी की वृद्धि होती है। इसका प्रयोग अर्घ्य आदि देने के लिए विशेषत: होता है।
वामवर्ती शंख का पेट बाईं ओर खुला होता है। इसके बजाने के लिए एक छिद्र होता है। इसकी ध्वनि से रोगोत्पादक कीटाणु कमजोर पड़ जाते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार:- दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं नर और मादा। जिसकी परत मोटी हो और भारी हो वह नर और जिसकी परत पतली हो और हल्का हो, वह मादा शंख होता है।
दक्षिणावर्ती शंख पूजा:- दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना यज्ञोपवीत पर करनी चाहिए। शंख का पूजन केसर युक्त चंदन से करें। प्रतिदिन नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शंख की धूप-दीप-नैवेद्य-पुष्प से पूजा करें और तुलसी दल चढ़ाएं।
प्रथम प्रहर में पूजन करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। द्वितीय प्रहर में पूजन करने से धन- सम्पत्ति में वृद्धि होती है। तृतीय प्रहर में पूजन करने से यश व कीर्ति में वृद्धि होती है। चतुर्थ प्रहर में पूजन करने से संतान प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजन के बाद 108 बार या श्रद्धा के अनुसार मंत्र का जप करें।
विविध नाम:- शंख, समुद्रज, कंबु, सुनाद, पावनध्वनि, कंबु, कंबोज, अब्ज, त्रिरेख, जलज, अर्णोभव, महानाद, मुखर, दीर्घनाद, बहुनाद, हरिप्रिय, सुरचर, जलोद्भव, विष्णुप्रिय, धवल, स्त्रीविभूषण, पांचजन्य, अर्णवभव आदि।
महाभारत यौद्धाओं के पास शंख:- महाभारत में लगभग सभी यौद्धाओं के पास शंख होते थे। उनमें से कुछ यौद्धाओं के पास तो चमत्कारिक शंख होते थे। जैसे भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी।
पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय:।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशंखं भीमकर्मा वृकोदर:।।-महाभारत
पवित्र शंख के जानिए 12 चमत्कारिक रहस्य ?

अर्जुन के पास देवदत्त, युधिष्ठिर के पास अनंतविजय, भीष्म के पास पोंड्रिक, नकुल के पास सुघोष, सहदेव के पास मणिपुष्पक था। सभी के शंखों का महत्व और शक्ति अलग-अलग थी। कई देवी देवतागण शंख को अस्त्र रूप में धारण किए हुए हैं। महाभारत में युद्धारंभ की घोषणा और उत्साहवर्धन हेतु शंख नाद किया गया था।
अथर्ववेद के अनुसार, शंख से राक्षसों का नाश होता है- शंखेन हत्वा रक्षांसि। भागवत पुराण में भी शंख का उल्लेख हुआ है। यजुर्वेद के अनुसार युद्ध में शत्रुओं का हृदय दहलाने के लिए शंख फूंकने वाला व्यक्ति अपिक्षित है।
अद्भुत शौर्य और शक्ति का संबल शंखनाद से होने के कारण ही योद्धाओं द्वारा इसका प्रयोग किया जाता था। श्रीकृष्ण का ‘पांचजन्य’ नामक शंख तो अद्भुत और अनूठा था, जो महाभारत में विजय का प्रतीक बना।
नादब्रह्म:-
शंख को नादब्रह्म और दिव्य मंत्र की संज्ञा दी गई है। शंख की ध्वनि को
•ॐ की ध्वनि के समकक्ष माना गया है। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।
धन प्राप्ति में सहायक शंख:-
शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह अनमोल रत्नों में से एक है। लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे लक्ष्मी भ्राता भी कहा जाता है। यही कारण है कि जिस घर में शंख होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है।
यदि मोती शंख को कारखाने में स्थापित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है। यदि व्यापार में घाटा हो रहा है, दुकान से आय नहीं हो रही हो तो एक मोती शंख दुकान के गल्ले में रखा जाए तो इससे व्यापार में वृद्धि होती है।
यदि मोती शंख को मंत्र सिद्ध व प्राण-प्रतिष्ठा पूजा कर स्थापित किया जाए तो उसमें जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आर्थिक उन्नति होती है।
मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज ॐ श्री महालक्ष्मै नम:’ 11 बार बोलकर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।
इसी तरह प्रत्येक शंख से अलग अलग लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
शंख पूजन का लाभ:
शंख सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप है जिसके मध्य में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा तथा अग्र में गंगा और सरस्वती नदियों का वास है। तीर्थाटन से जो लाभ मिलता है, वही लाभ शंख के दर्शन और पूजन से मिलता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, शंख चंद्रमा और सूर्य के समान ही देवस्वरूप है। इसके मध्य में वरुण, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा और अग्र भाग में गंगा और सरस्वती का निवास है। शंख से शिवलिंग, कृष्ण या लक्ष्मी विग्रह पर जल या पंचामृत अभिषेक करने पर देवता प्रसन्न होते हैं।
सेहत में फायदेमंद शंख:-
शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते।
शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। गोरक्षा संहिता, विश्वामित्र संहिता, पुलस्त्य संहिता आदि ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख को आयुर्वद्धक और समृद्धि दायक कहा गया है।
पेट में दर्द रहता हो, आंतों में सूजन हो अल्सर या घाव हो तो दक्षिणावर्ती शंख में रात में जल भरकर रख दिया जाए और सुबह उठकर खाली पेट उस जल को पिया जाए तो पेट के रोग जल्दी समाप्त हो जाते हैं। नेत्र रोगों में भी यह लाभदायक है। यही नहीं, कालसर्प योग में भी यह रामबाण का काम करता है।
सबसे बड़ा शंख: विश्व का सबसे बड़ा शंख केरल राज्य के गुरुवयूर के श्रीकृष्ण मंदिर में सुशोभित है, जिसकी लंबाई लगभग आधा मीटर है तथा वजन दो किलोग्राम है।
श्रेष्ठ शंख के लक्षण:
शंखस्तुविमल: श्रेष्ठश्चन्द्रकांतिसमप्रभ:
अशुद्धोगुणदोषैवशुद्धस्तु सुगुणप्रद:
अर्थात् निर्मल व चन्द्रमा की कांति के समानवाला शंख श्रेष्ठ होता है जबकि अशुद्ध अर्थात् मग्न शंख गुणदायक नहीं होता। गुणोंवाला शंख ही प्रयोग में लाना चाहिए। क्षीरसागर में शयन करने वाले सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु के एक हाथ में शंख अत्यधिक पावन माना जाता है। इसका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष रूप से किया जाता है।
शंख से वास्तु दोष का निदान:
पवित्र शंख के जानिए 12 चमत्कारिक रहस्य ?

शंख से वास्तु दोष भी मिटाया जा सकता है। शंख को किसी भी दिन लाकर पूजा स्थान पर पवित्र करके रख लें और प्रतिदिन शुभ मुहूर्त में इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए तो घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम हो जाता है। शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।
गणेश शंख:
इस शंख की आकृति भगवान श्रीगणेश की तरह ही होती है। यह शंख दरिद्रता नाशक और धन प्राप्ति का कारक है।
अन्नपूर्णा शंख: अन्नपूर्णा शंख का उपयोग घर में सुख-शान्ति और श्री समृद्धि के लिए अत्यन्त उपयोगी है। गृहस्थ जीवन यापन करने वालों को प्रतिदिन इसके दर्शन करने चाहिए।
कामधेनु शंख:
कामधेनु शंख का उपयोग तर्क शक्ति को और प्रबल करने के लिए किया जाता है। इस शंख की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मोती शंख
इस शंख का उपयोग घर में सुख और शांति के लिए किया जाता है। मोती शंख हृदय रोग नाशक भी है। मोती शंख की स्थापना पूजा घर में सफेद कपड़े पर करें और प्रतिदिन पूजन करें, लाभ मिलेगा।
ऐरावत शंख
ऐरावत शंख का उपयोग मनचाही साधना सिद्ध को पूर्ण करने के लिए, शरीर की सही बनावट देने तथा रूप रंग को और निखारने के लिए किया जाता है। प्रतिदिन इस शंख में जल डाल कर उसे ग्रहण करना चाहिए। शंख में जल प्रतिदिन 24 – 28 घण्टे तक रहे और फिर उस जल को ग्रहण करें, तो चेहरा कांतिमय होने लगता है।
विष्णु शंख:
इस शंख का उपयोग लगातार प्रगति के लिए और असाध्य रोगों में शिथिलता के लिए किया जाता है। इसे घर में रखने भर से घर रोगमुक्त हो जाता है।
पौण्ड्र शंख:
पौण्ड्र शंख का उपयोग मनोबल बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग विद्यार्थियों के लिए उत्तम है। इसे विद्यार्थियों को अध्ययन कक्ष में पूर्व की ओर रखना चाहिए।
मणि पुष्पक शंख मणि पुष्पक शंख की पूजा-अर्चना से यश कीर्ति, मान-सम्मान प्राप्त होता है। उच्च पद की प्राप्ति के लिए भी इसका पूजन उत्तम है।
देवदत्त शंख
इसका उपयोग दुर्भाग्य नाशक माना गया है। इस शंख का उपयोग न्याय क्षेत्र में विजय दिलवाता है। इस शंख को शक्ति का प्रतीक माना गया है। न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोग इसकी पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख
इस शंख को दक्षिणावर्ती इसलिए कहा जाता है क्योंकि जहां सभी शंखों का पेट बाईं ओर खुलता है वहीं इसका पेट विपरीत दाईं और खुलता है। इस शंख को देव स्वरूप माना गया है। दक्षिणावर्ती शंख के पूजन से खुशहाली आती है और लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ सम्पत्ति भी बढ़ती है। इस शंख की उपस्थिति ही कई रोगों का नाश कर देती है। दक्षिणावर्ती शंख पेट के रोग में भी बहुत लाभदायक है। विशेष कार्य में जाने से पहले दक्षिणावर्ती शंख के दर्शन करने भर से उस काम के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
पवित्र शंख के जानिए 12 चमत्कारिक रहस्य ?

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री मो,9993874848
## Discover 12 Miraculous Secrets of the Sacred Conch The sacred conch, known for its spiritual significance, is associated with numerous shocking facts that enhance its revered status. Among these, the Manipushpak Conch is believed to confer fame and respect to its devotees, while the Dakshinavarti Conch, unique for its right-sided opening, is said to bring prosperity and alleviate various ailments. Worshipping the Dakshinavarti Conch is thought to increase the likelihood of success in important endeavors, highlighting its powerful influence in both spiritual and material realms.














Leave a Reply