कटनी में फर्जी दस्तावेजों पर रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की जांच, प्रशासन ने बनाई विशेष टीम

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कटनी, मध्यप्रदेश — कटनी जिले में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और वैधता की जांच के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं।

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पुलिस प्रशासन द्वारा 25 संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों की जांच की जाएगी। यह कार्रवाई राज्य शासन के निर्देश पर की जा रही है, जिसमें इनकी नागरिकता, दस्तावेजों की प्रामाणिकता और भारत में निवास की वैधता की पुष्टि की जाएगी।

🔍 जांच की प्रक्रिया और प्रशासनिक तैयारी

कटनी पुलिस ने इस जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की है, जो सभी संदिग्धों से पूछताछ कर उनके दस्तावेजों की गहन पड़ताल करेगी। जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट राज्य शासन को भेजी जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी। यदि दस्तावेज फर्जी पाए जाते हैं, तो इन नागरिकों को कटनी से निष्कासित किया जा सकता है।

यह मामला तब सामने आया जब स्थानीय सूत्रों से पुलिस को सूचना मिली कि कुछ विदेशी नागरिक फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड और पते के सहारे कटनी में रह रहे हैं। इसके बाद प्रशासन ने तत्काल जांच की योजना बनाई।

⚠️ देशभर में बढ़ती फर्जी दस्तावेजों की घटनाएं

कटनी की यह घटना कोई अकेला मामला नहीं है। हाल ही में देहरादून में भी फर्जी दस्तावेजों के सहारे रह रहे बांग्लादेशी दंपति को गिरफ्तार किया गया। वहां के ऑपरेशन कालनेमि के तहत पुलिस ने एक बांग्लादेशी नागरिक को पकड़ा जो भारतीय नाम से आधार और पैन कार्ड बनवाकर एक क्लब में बाउंसर की नौकरी कर रहा था।

इससे यह स्पष्ट होता है कि फर्जी पहचान पत्रों के सहारे देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की संख्या बढ़ रही है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।

🛡️ प्रशासन का रुख और जनसुरक्षा

कटनी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि घुसपैठियों के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। यह जांच न केवल दस्तावेजों की वैधता की पुष्टि करेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन बना रहे।

पुलिस ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि यदि उन्हें किसी संदिग्ध व्यक्ति की जानकारी हो, तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें। यह कदम जनसहयोग से ही सफल हो सकता है।

📌 निष्कर्ष

कटनी में बांग्लादेशी नागरिकों की जांच एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्रवाई है जो राज्य की सुरक्षा नीति को मजबूती देती है। देशभर में बढ़ते फर्जी दस्तावेजों के मामलों को देखते हुए यह कदम समय की मांग है। यदि जांच में दोष सिद्ध होते हैं, तो यह कार्रवाई अन्य जिलों के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है

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