कांग्रेस का गंभीर आरोप: भाजपा शासित राज्यों में सरकारी योजनाओं से खुलेआम हो रही वोट की खरीददारी..

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भोपाल : कांग्रेस का गंभीर आरोप: भाजपा शासित राज्यों में सरकारी योजनाओं से खुलेआम हो रही वोट की खरीददारी


चुनाव आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ाने का सिलसिला जारी, MCC की तीन माह की नई समय-सीमा का हो रहा दुरुपयोग
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने आज प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री संजीव झा को ज्ञापन सौंपकर भाजपा शासित राज्यों पर बड़ा आरोप लगाया है कि सरकारी योजनाओं के जरिए खुलेआम चुनाव आचार संहिता (MCC) का उल्लंघन कर मतदाताओं को लुभाया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि पहले चुनाव घोषणा से छह माह पहले तक कोई नई योजना या घोषणा करने पर सख्त पाबंदी थी, लेकिन अब यह अवधि घटाकर मात्र तीन माह कर दी गई है, जिसका भाजपा सरकारें बेशर्मी से दुरुपयोग कर रही हैं।

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MP Congress


कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे पूर्व मंत्री पी.सी. शर्मा ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में मांग की है कि:
आगामी उपचुनावों एवं भावी चुनावों की अवधि में किसी भी प्रकार की नई राशि वितरण, लाभ हस्तांतरण या नई योजनाओं की घोषणा/क्रियान्वयन पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।


पहले से चल रही योजनाओं के लाभ भी चुनाव प्रभावित क्षेत्रों में चुनाव समाप्ति तक स्थगित किए जाएँ।
श्री शर्मा ने कहा,
भाजपा सरकारें सरकारी खजाने को चुनावी रेवड़ी बाँटने का हथियार बना रही हैं। लाड़ली बहना, लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं के जरिए करोड़ों रुपए का लाभ चुनाव से ठीक पहले बाँटा जा रहा है। यह सीधे-सीधे वोट खरीदने की कोशिश है। चुनाव आयोग अगर अब भी चुप रहा तो लोकतंत्र की हत्या हो जाएगी।”


ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से ये नेता मौजूद रहे:
पूर्व मंत्री श्री पी.सी. शर्मा
भोपाल शहर कांग्रेस अध्यक्ष श्री प्रवीण सक्सेना
वरिष्ठ नेता श्री जे.पी. धनोपिया
मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रभारी श्री ललित सेन
श्रीमती शाबिस्ता जाकी
प्रदेश प्रवक्ता श्री भूपेंद्र गुप्ता
श्री अभिनव बरोलिया
पार्षद श्री गुड्डू चौहान
श्री रमेश पांडे
श्री निकेश चौहान


कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि चुनाव आयोग ने तत्काल संज्ञान नहीं लिया तो प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा। पार्टी ने इसे “लोकतंत्र पर भाजपा का खुला हमला” करार दिया है।
अब निगाहें मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या चुनाव आयोग सत्ताधारी दल की इन हरकतों पर लगाम लगा पाएगा या एक बार फिर मौन साधेगा?
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