Katni News मध्य प्रदेश के कटनी में दशहरे के पर्व पर 140 साल से एक परंपरा निभाई जा रही है। यहां रावण का पुतला विजयदशमी के मौके पर निकले वाले चल समारोह की अगुवाई करता है। यहां दशानन का प्रकांड विद्वान मानकर उसके पुतले को सबसे आगे रखा जाता है।
Katni News कटनी में दशहरे के पर्व पर रावण का पुतला दहन करने की 140 साल पुरानी परंपरा
Katni News दशहरे पर भगवान श्रीराम की सवारी को चल समारोह की अगुवाई करते तो आपने देखा होगा, पर शहर में इस पर्व के दौरान लंकापति रावण का पुतला विजयदशमी पर्व पर निकाले जाने वाले चल समारोह की अगुवाई करता है। 140 वर्षों से निभाई जा रही परंपरा के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है, पर माना जाता है कि दशानन को प्रकांड विद्वान मानकर पुतले को आगे रखा जाता है।
चल समारोह में जब तक गोलबाजार रामलीला का रावण का पुतला नहीं पहुंचता है, तब तक प्रतिमाएं विसर्जन के लिए रवाना नहीं होतीं। समारोह में रामदरबार, रामलीला की झांकी के बाद दुर्गा प्रतिमाओं का क्रम प्रारंभ होता है। रावण के पुतले को आजाद चौक तक ले जाया जाता है और उसके बाद वह वापस रामलीला मैदान पहुंचता है। सुबह छह बजे पुतला दहन किया जाता है।
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लालटेन के उजाले में होता था रामलीला का मंचन
समाजसेवी रामदास अग्रवाल उर्फ लल्लू भैया ने गोलबाजार में रामलीला के मंचन की परंपरा की शुरुआत अपने साथियों के साथ मिलकर वर्ष 1884 में कराई थी। उस दौरान लालटेन के उजाले में नवरात्र के दौरान रामलीला का मंचन होता था।
उसी समय से रावण के पुतले की अगुवाई में चल समारोह निकालना प्रारंभ किया गया। चल समारोह के दौरान लोगों में गजब का उत्साह रहता है। इस मौके पर ग्रामीण इलाकों से भी जनसैलाब शहर की सड़कों पर उमड़ता है।
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परंपरा का आज भी हो रहा निर्वाह
कटनी नगर में रामलीला मंचन के समय से ही रावण का पुतला चल समारोह की अगुवाई करता रहा है और उस परंपरा का आज भी निर्वाह शहर में होता है। – विजय गुप्ता, अध्यक्ष-गोलबाजार रामलीला कमेटी।
Dainik Madhya Pradesh (दैनिक मध्यप्रदेश)
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